अच्छे दिन
उठा रहा है बेचारा, नयी लुगाई के खर्चे,
खूब हो रहे है, लोगों में जलोटा के चर्चे।
पुछा, " कैसे चबाएगा ये लोहे का चना?"
तोडा है गिलास, तो भरेगा बारा आना ।
जलने वाले बोले, "हूर के गले में लंगूर",
लोगों के लिए तो खैर, सारे खट्टे अंगूर ।
कहाँ लोगों ने," बुढी घोडी, लाल लगाम ",
पर बड़े बुढों के लिए, हैं यह एक पैगाम ।
" भक्ति रस में तुम, दिन रात रहो मगन,
फिर हूस्न को भी, लगेगी तुम्हारी लगन ।
अपने बचे हुए दिन, क्यों रहे हो गिन ?
मित्रों, लो आ गए तुम्हारे भी 'अच्छे दिन' "!!!!!
......... निलिमा देशपांडे । १९/०९/२०१८, नवीन पनवेल ।
उठा रहा है बेचारा, नयी लुगाई के खर्चे,
खूब हो रहे है, लोगों में जलोटा के चर्चे।
पुछा, " कैसे चबाएगा ये लोहे का चना?"
तोडा है गिलास, तो भरेगा बारा आना ।
जलने वाले बोले, "हूर के गले में लंगूर",
लोगों के लिए तो खैर, सारे खट्टे अंगूर ।
कहाँ लोगों ने," बुढी घोडी, लाल लगाम ",
पर बड़े बुढों के लिए, हैं यह एक पैगाम ।
" भक्ति रस में तुम, दिन रात रहो मगन,
फिर हूस्न को भी, लगेगी तुम्हारी लगन ।
अपने बचे हुए दिन, क्यों रहे हो गिन ?
मित्रों, लो आ गए तुम्हारे भी 'अच्छे दिन' "!!!!!
......... निलिमा देशपांडे । १९/०९/२०१८, नवीन पनवेल ।
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