वो अन्जान शायर......
न जाने कैसे हर बार,
भाप लेता है दिल की बात,
लिख देता है एक शायरी,
जिसमें हो, मेरे ही जज्बात।
न जाने कहाँ से हर बार,
ढूँढ लाता है वो अल्फाज,
जिनकी मुझे है तलाश,
समझ न पाया मैं वो राज।
उसकी और मेरी रूह की,
क्या है कोई मिली भगत ?
या हमारी जिंदगीयों की,
शायद एक ही है हकीकत?
अन्जान हो कर भी मानो,
दोनो की एक सी कशिश है,
अब तो मेरे इस दिल में,
एक अजीब ही कश्मकश है।
चाह कर भी न चाह सकूँ,
अब उसके दिल की आबादी,
डरता हूँ, अधुरी न रह जाए,
कही मेरी अनकही बरबादी।
खत्म न हो जाए कभी,
कही उसके कलम की स्याही,
मेरे दिल के धडकने की,
वहीं तो हैं एकलौती गवाही।
..........निलिमा देशपांडे।
न जाने कैसे हर बार,
भाप लेता है दिल की बात,
लिख देता है एक शायरी,
जिसमें हो, मेरे ही जज्बात।
न जाने कहाँ से हर बार,
ढूँढ लाता है वो अल्फाज,
जिनकी मुझे है तलाश,
समझ न पाया मैं वो राज।
उसकी और मेरी रूह की,
क्या है कोई मिली भगत ?
या हमारी जिंदगीयों की,
शायद एक ही है हकीकत?
अन्जान हो कर भी मानो,
दोनो की एक सी कशिश है,
अब तो मेरे इस दिल में,
एक अजीब ही कश्मकश है।
चाह कर भी न चाह सकूँ,
अब उसके दिल की आबादी,
डरता हूँ, अधुरी न रह जाए,
कही मेरी अनकही बरबादी।
खत्म न हो जाए कभी,
कही उसके कलम की स्याही,
मेरे दिल के धडकने की,
वहीं तो हैं एकलौती गवाही।
..........निलिमा देशपांडे।
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